ताइवान इलेक्शन को लेकर  चीन तथा अमेरिका के ही साथ क्यों है पूरी दुनिया की नज़र

चीनी गणराज्य ताइवान पूर्वी एशिया का एक देश है जिस में 13 जनवरी को आम इलेक्शन होंगे जिसमें नए राष्ट्रपति तथा नई संसद, (लेजिस्लेटिव युआन) का इलेक्शन  होगा

 चीन तथा अमेरिका की इस इलेक्शन पर नज़दीकी निगाह है क्योंकि दोनों देशों के लिए ये स्वशासित द्वीप युद्धनीति रूप से खास 

आम इलेक्शन के निर्णय इस द्वीप के साथ चीन देश के रिलेशन की कुदरती पर असर डालेंगे ये इस क्षेत्र में टेन्शन को बढ़ा सकते हैं तथा इसका वर्ड अर्थव्यवस्था पर अच्छा असर पड़ सकता है

 लाई एक डॉक्टर हैं वो ताइवान के करीब हर टॉप सियासी पद पर रह चुके हैं 2020 से वो उप राष्ट्रपति हैं

डॉक्टर पैन-ग्रीन गठबंधन के नेता हैं तथा खास तौर पर ताइवान पहचान के सपोर्टर  हैं तथा चीन के साथ एकीकरण के खास शत्रुता हैं

डॉक्टर चीन की बजाय अमेरिका देश से नज़दीकियां बढ़ाने के तरफदार हैं.चीन उनको  हठी "अलगाववादी" तथा "साई से भी ज़्यादा बेकार" मानता है

मगर जैसे जैसे इलेक्शन नज़दीक आ रहा है, डॉक्टर साई की बात को ही दुहरा रहे हैं

"ताइवान पहले ही आज़ाद है, उसे अब और कोई घोषणा करने की कोई ज़रूत नहीं.है