बिहार पंचायत चुनाव का सातवें चरण का मतदान 15 नवंबर को होगा…
बिहार पंचायत चुनाव 15 नवंबर को होना है .ये राज्य में सातवें चरण का पंचायत चुनाव है। इस चरण में सर्वाधिक 37 जिलों के 63 प्रखंडों में मतदान होगा। राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा इस चरण के लिए 12,786 मतदान केंद्रों का गठन किया गया है।
सातवें चरण में कुल 72,85,589 मतदाता हैं, जिनमें 38,34,881 पुरुष मतदाता और 34,50,436 महिला मतदाता एवं 272 अन्य मतदाता भी शामिल है। इस चरण में कुल 27,730 पदों के लिए मतदान कराया जाएगा। इसमें ग्राम पंचायत सदस्य का 12,272 पद, ग्राम पंचायत मुखिया का 904 पद, पंचायत समिति सदस्य का 1245 पद, जिला परिषद सदस्य का 135 पद, ग्राम कचहरी के सरपंच का 904 और ग्राम कचहरी के पंच का 12,272 पद हैं।
आयोग के अनुसार बिहार में सातवें चरण के चुनाव लिए 1,08,009 नामांकन पत्र दाखिल किया गया हैं। इनमें से कुल 1,07,315 नामांकन पत्रों को स्वीकृत किया गया है। वहीं 694 नामांकन पत्र अस्वीकृत किए गए हैं। जबकि 1657 उम्मीदवारों द्वारा 30 अक्टूबर तक नामांकन वापसी की गई है। इसमें से मुखिया पद के सर्वाधिक 633 नामांकन पत्र वापस लिए गए हैं। वहीं, पंचायत सदस्य के 562, पंचायत समिति सदस्य के 199, जिला परिषद सदस्य के 62, पंच के 103 एवं सरपंच के 98 नामांकन पत्र वापस लिया गया है।
पंचायत चुनाव में मतदान करने में महिलाओं की भागीदारी
एक बार फिर बिहार पंचायत चुनाव में मतदान करने में पुरुष से आगे रही महिलाएं। पंचायत चुनाव दस चरणों में पूरा होना है, अभी तक छठवीं चरण का चुनाव हो चुका है। सातवें चरण का चुनाव 15 नवंबर हो होना है। छठवें चरण में मसौढ़ी प्रखंड की 17 पंचायतों में 69.27 प्रतिशत मतदान हुआ। इसमें से 68.59 प्रतिशत पुरुष एवं 69.95 प्रतिशत महिलाओं ने मतदान किया। जबकि पुनपुन प्रखंड में 67.25 प्रतिशत मतदान का प्रतिशत रहा। जिसमें 66.53 प्रतिशत पुरुष व 67.98 प्रतिशत महिलाओं ने मतदान किया। छठवें चरण में दोनों ही प्रखंड में पुरुष की अपेक्षा महिलाओं का मतदान प्रतिशत अधिक रहा।
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इससे पहले यह आंकड़ा दूसरे चरण में भी देखा गया था। दूसरे चरण में 34 जिलों के 48 प्रखंडों की 692 पंचायतों में 46.02 प्रतिशत पुरुष तो 60.52 प्रतिशत महिलाओं ने मतदान की थी।
अब तक के पंचायत चुनाव का खास बात यह भी है कि ज्यादातर पुराने मुखिया हार रहे हैं। किसी चरण में 80 प्रतिशत तो किसी चरण में 60 से 70 प्रतिशत पुराने मुखिया हारे। 60 प्रतिशत जीते मुखिया प्रत्याशी 40 वर्ष से कम उम्र के हैं। युवाओं का राजनीति में इस तरह से प्रवेश एक बड़ा बदलाव का संकेत है।