CM Mamata Banerjee ने कांग्रेस का हाथ छोड़ा,अब क्या हैं आगे का विकल्प
पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी CM Mamata Banerjee ने राहुल गाँधी को एक तरह से तो ये अल्टीमेटम दे दिया है कि सीट बटवारे पर अब बात इलेक्शन के बाद ही होगी ।
कल के दिन यानि बुधवार का ममता बनर्जी Mamata Banerjee ने ये बिलकुल साफ़ कर दिया कि सीट बटवारे को लेकर बातचीत का रास्ता कांग्रेस के लिए अब बिलकुल बंद हो चुका है । तथा अब रही राष्ट्रीय गठबंधन की बात तो इस पर इलेक्शन के बाद ही किसी तरह का निर्णय लिया जाएगा ।
टीएमसी के एक खास नेता तथा सांसद के हिसाब से पार्टी को भरोसा है कि राम लला मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के भव्य करिक्रम तथा जल्द ही में ख़त्म हुए विधानसभा इलेक्शन Assembly Election में जीत के बाद प्रदेश में भाजपा को बड़ी बढ़त मिल सकती है ।
अखबार में टीएमसी के नेता ने कहा कि कांग्रेस “ममता बनर्जी जैसी एक बड़ी नेता को छोटा समझ रही है तथा अहंकार में डूबी हुई है ।
CM Mamata Banerjee के लिए भाजपा के अलावा क्या और हैं चुनौतियां
टीएमसी के लिए अल्पसंख्यक का वोट भी सीएम ममता बनर्जी CM Mamata Banerjee की बड़ी शक्ति रहा है मगर लगता है अब उसे भी चुनौती मिल रही है ।
- Modi 3.0: क्या नरेंद्र मोदी गठबंधन वाली सरकार चला पाएंगे?
- बिहार की सियासत आखिर दिल्ली में क्यों हैं?
- Anupama: किंजल के दरवाज़े पर पहुंचेगी अनुपमा, तोषू को नशे में देगी भाषण, यशदीप से बात चीत करेगा अनुज
बंगाल के इलाक़े में शक्तिशाली माने जाने वाले मौलाना नौशाद सिद्दीक़ी के नेतृत्व में इंडियन सेक्युलर फ्रंट ममता बनर्जी के लिए एक नई चुनौती बनकर उभरा है ।
वर्ष 2021 में सीपीआईएम तथा कांग्रेस ने इसी फ्रंट के साथ हाथ मिलाया था, उस समय गठबंधन को विधासभा इलेक्शन Assembly Election में एक ही सीट मिली थी मगर बीते वर्ष हुए पंचायत इलेक्शन में इस फ्रंट का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा था ।
ये भी पढ़ें – राम लला Ram Lala का पाकिस्तान में भी चर्चा…
मुसलमानों के बीच अपनी पहुंच बढ़ाने की कोशिशों में जुटी सीपीआईएम पार्टी ने हाल के दिनों में भाजपा को लेकर कड़े बयान दिए हैं ।
ममता बनर्जी के ख़िलाफ़ वामपंथी पार्टियां भी अच्छी चुनौती बन सकती हैं, जिसके विरुद्ध प्रदेश में ममता ने लंबी सियासी लड़ाई लड़ी है ।