मोदी का टूटा अहंकार, किसानों में खुशी का जश्न और टिकैत का यह बयान
आज गुरु नानक देव की जयंती पर देश को सम्बोधित करते हुए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला किया है। आपको बता दें कि 26 नवंबर को किसान आंदोलन का एक साल पूरा हो जाएगा। भाजपा की केंद्र सरकार ने पूरे एक साल बाद केंद्रीय कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला किया। जब से यह तीनों कानूनों को लाया गया था, उसके बाद से ही किसान इन तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन कर रहे थे। गाजीपुर बॉर्डर में आंदोलन पर बैठे किसानों ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की जश्न मना रहे हैं।
मोदी का देश को संबोधन में कही गई यह बातें
देश को सम्बोधित करते हुए, प्रधानमंत्री मोदी ने कहा आज मैं देशवासियों को बताया चाहता हूं कि हमने तीनों कृषि कानून को निरस्त करने का फैसला किया है। मैंने अपने 5 दशक के सार्वजनिक जीवन में किसानों की परेशानियों और चुनौतियों को बहुत करीब से देखा और महसूस किया है। जब देश ने मुझे 2014 में प्रधानमंत्री के रूप में सेवा का अवसर दिया तो हमने कृषि विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता दी। आपदा के समय ज़्यादा से ज़्यादा किसानों को आसानी से मुआवज़ा मिल सकें इसके लिए पूराने नियम बदले हैं। बीते 4 सालों में एक लाख करोड़ रुपए से ज़्यादा का मुआवज़ा हमारे किसानों को मिला है।
आगे उन्होंने कहा कि हमने MSP बढ़ाई और रिकॉर्ड सरकारी खरीद केंद्र भी बनाए। हमारी सरकार द्वारा की गई उपज की खरीद ने पिछले दशकों के रिकॉर्ड तोड़ दिए। किसानों को उनकी मेहनत के बदले उपज की सही कीमत मिले, इसके लिए भी कदम उठाए। हमने ग्रामीण बाजार के बुनियादी ढांचा को मजबूत किया।
राहुल गाँधी समेत किसान नेताओ की प्रतिक्रियाएं
सरकार के तीनों कृषि कानून को वापस लेने के फैसले पर किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा आंदोलन तत्काल वापस नहीं होगा, हम उस दिन का इंतज़ार करेंगे जब कृषि कानूनों को संसद में रद्द किया जाएगा। सरकार MSP के साथ-साथ किसानों के दूसरे मुद्दों पर भी बातचीत करें।
कृषि क़ानून रद्द होने पर ऑल इंडिया किसान सभा के महासचिव हन्नान मौला ने कहा, मैं इस घोषणा का स्वागत करता हूं। जब तक सदन से इस घोषणा पर कार्यवाही नहीं होती है, तब तक यह कोशिश संपूर्ण नहीं होगी। इससे हमारे किसानों की समस्या हल नहीं होगी। MSP के लिए हमारा आंदोलन जारी है और जारी रहेगा।
उन्होंने ने कहा 26 नवंबर को किसान आंदोलन को एक साल होगा उस दिन पूरे देश में लाखों किसान रास्तों पर उतरेंगे। अभी आधी मांग पूरी हुई है। जब तक MSP एक्ट पास नहीं होगा, किसानों को कोई फायदा नहीं होगा। इसके लिए हमारा आंदोलन जारी रहेगा।
केंद्र की भाजपा सरकार के तीनों कृषि कानूनों की वापसी के फैसले पर विपक्ष नेता राहुल गांधी ने किसानों को जीत की बधाई दी। उन्होंने कहा यह अन्याय के खिलाफ जीत है, देश के अन्नदाता ने सत्याग्रह से अहंकार का सर झुका दिया।
महाराष्ट्र सरकार में मंत्री नवाब मलिक ने कहा आज से तीनों कृषि क़ानून इस देश में नहीं रहेंगे। एक बड़ा संदेश देश में गया है कि देश एकजुट हो तो कोई भी फैसला बदला जा सकता है। चुनाव में हार के डर से प्रधानमंत्री ने तीनों कृषि क़ानूनों को वापस लिया है। किसानों की जीत देशवासीयों की जीत है।
कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा 700 से ज़्यादा किसानों की मौत के बाद अगर ये सरकार कृषि क़ानून वापस लेती है, तो इससे पता चलता है कि यह सरकार किसानों के बारे में कितना सोचती है। साल भर से जो किसान और आम जनता का नुकसान हुआ है इसकी ज़िम्मेदारी कौन लेगा? इस मुद्दे को संसद में उठाएंगे।
कृषि कानूनों की वापसी के सरकार के निर्णय पर कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा मुझे खुशी है कि यह सरकार समझ गई है कि इस देश में किसानों से बढ़ा कोई नहीं है। इस देश में एक सरकार अगर किसानों को कुचलने की कोशिश करती है और किसान खड़ा हो जाता है तो सरकार को अंत में झुकना ही पड़ेगा। यह सरकार समझ गई है।
भाजपा के केंद्र की सरकार के कृषि कानूनों को वापस लेने के फैसले का स्वागत तो हुआ ही, लेकिन सरकार पर विपक्ष और किसान नेताओं ने कई तरह के सवाल दाग दिए। सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की फैसला तो कर लिया, लेकिन मुश्किलें कम नहीं हुआ। क्योंकि किसान सरकार के कानून वापसी के फैसले से संतुष्ट नहीं है।