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संविधान का अनुच्छेद 85: संसद की रीढ़, लोकतंत्र का संचालन

अनुच्छेद 85
 

अनुच्छेद 85

भारत में लोकतंत्र की नींव संसद है, और संसद के सुचारू संचालन के लिए संविधान का अनुच्छेद 85 बेहद अहम भूमिका निभाता है। यह अनुच्छेद न केवल संसद को नियंत्रित करता है, बल्कि कार्यपालिका और विधायिका के बीच एक संतुलन भी स्थापित करता है।

🔍 क्या है अनुच्छेद 85?

अनुच्छेद 85 संसद के सत्रों को बुलाने, स्थगित करने, सत्रावसान (prorogation) और लोकसभा को भंग (dissolution) करने से जुड़ी प्रक्रियाओं को निर्धारित करता है। सीधे शब्दों में कहें तो यह अनुच्छेद संसद के समय, स्वरूप और संतुलन की व्यवस्था करता है ताकि लोकतंत्र बिना रुकावट के आगे बढ़ता रहे।

👤 राष्ट्रपति की भूमिका

राष्ट्रपति को संसद का सत्र बुलाने और स्थगित करने की संवैधानिक शक्ति प्राप्त है, लेकिन यह कार्य वह प्रधानमंत्री की सलाह पर करते हैं। यानी कि कार्यपालिका की सलाह पर विधायिका की बैठकें तय होती हैं।

🗓️ हर सत्र के बीच 6 महीने से ज्यादा नहीं हो सकता अंतर

अनुच्छेद 85 यह सुनिश्चित करता है कि संसद का कोई भी सत्र आखिरी सत्र की तारीख से 6 महीने के भीतर ही बुलाया जाए। इससे यह तय होता है कि संसद में निरंतर चर्चा और जवाबदेही बनी रहे।

📆 तीन मुख्य सत्र होते हैं हर साल

भारत की संसद में हर साल तीन प्रमुख सत्र होते हैं:

  • बजट सत्र (फरवरी–मई)
  • मानसून सत्र (जुलाई–सितंबर)
  • शीतकालीन सत्र (नवंबर–दिसंबर)
📌 सत्रावसान और स्थगन में अंतर
  • स्थगन (Adjournment) संसद की कार्यवाही को कुछ समय के लिए टालने की प्रक्रिया है, जो स्पीकर द्वारा की जाती है।
  • सत्रावसान (Prorogation) पूरे सत्र को समाप्त करने की प्रक्रिया है, जो राष्ट्रपति द्वारा होती है।

⚖️ लोकसभा भंग और राज्यसभा स्थायी

अनुच्छेद 85(2)(ख) के अनुसार, राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की सलाह पर लोकसभा को कार्यकाल समाप्त होने से पहले भंग कर सकते हैं। लेकिन राज्यसभा एक स्थायी सदन है, जिसे भंग नहीं किया जा सकता। हर दो साल में इसके एक तिहाई सदस्य रिटायर होते हैं।

🔁 लोकतंत्र में संतुलन का औजार

अनुच्छेद 85 न केवल कार्यपालिका और विधायिका के बीच जिम्मेदारियों का संतुलन स्थापित करता है, बल्कि यह शासन में पारदर्शिता और जवाबदेही को भी मजबूत करता है।

📣 21 जुलाई से शुरू हो रहा है मानसून सत्र

देश की निगाहें अब संसद के मानसून सत्र पर टिकी हैं, जो 21 जुलाई 2025 से शुरू हो रहा है। सरकार और विपक्ष दोनों ही इस सत्र में विभिन्न मुद्दों को उठाने और चर्चा के लिए तैयार हैं। कई अहम बिलों पर बहस होने की संभावना है, और जनता को इससे काफी उम्मीदें हैं।

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