समाजवादी पार्टी के मंत्री गायत्री प्रजापति ने सामूहिक बलात्कार किया था
सामूहिक बलात्कार के मामले में समाजवादी पार्टी के पूर्ववर्ती सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे गायत्री प्रसाद प्रजापति सहित तीन दोषियों को अदालत ने शुक्रवार को उम्रकैद और दो दो लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है
पहले ये जान लीजिए की कौन है गायत्री प्रजापति
गायत्री प्रसाद प्रजापति ने 1995 के करीब समाजवादी पार्टी जॉइन की थी. 1996 और 2002 में अमेठी से लड़े और हार गए. लेकिन जुगाड़ू प्रवृत्ति होने के कारण उनके मुलायम सिंह यादव और अखिलेश याद से अच्छे संपर्क बन गए. 2012 में फिर टिकट मिला और इस बार गायत्री प्रसाद ने अमेठी जीत लिया. विधायक बने. सपा की सरकार बनी, तो फरवरी 2013 में मंत्री पद भी मिल गया , सिंचाई मंत्री बने इसी साल जुलाई में मंत्रिमंडल फेरबदल हुआ, तो स्वतंत्र प्रभार दिया गया, इसके बाद जनवरी 2014 में सूबे के खनन मंत्री बना दिए गए.प्रजापति के वकील ने अदालत के फैसले को राजनीति से प्रेरित करार देते हुये कहा कि इस फैसले को उच्च अदालत में चुनौती दी जायेगी।
वहीं, आजीवन कारावास की सजा सुनने के बाद भावुक हुए प्रजापति ने अदालत परिसर के बाहर संवाददाताओं से कहा उन्हें जानबूझकर फंसाया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘इस मुकदमे की वजह से मैं अपनी दो बेटियों की शादी नहीं कर पाया। मुझसे न जाने किस बात का बदला लिया जा रहा है। मुझे इसलिए फंसाया गया ताकि मैं अमेठी से राजनीति ना कर सकूं।’’ उन्होंने कहा कि सरकार को उनसे डर है, इसलिये उन्हें इस मामले में राजनीति के तहत फंसाया गया है।
उल्लेखनीय है कि पीड़िता की शिकायत पर तत्कालीन सरकार में ताकतवर मंत्री प्रजापति के खिलाफ पुलिस द्वारा मामला दर्ज नहीं होने पर 18 फरवरी, 2017 को उच्चतम न्यायालय के आदेश पर पुलिस को मामला दर्ज करना पड़ा। प्रजापति और अन्य छह अभियुक्तों के खिलाफ सामूहिक बलात्कार, धमकी देने और पॉक्सो ऐक्ट के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था। पीड़िता ने प्रजापति और उसके साथियों के विरुद्ध सामूहिक बलात्कार का आरोप लगाते हुए, उसकी नाबालिग बेटी के साथ भी जबरन शारीरिक संबध बनाने की शिकायत दर्ज करायी थी। पीड़ित महिला ने कई बार बदले बयान:
इस मामले में गायत्री प्रसाद प्रजापति के जेल जाने के कुछ समय बाद पीड़ित महिला ने कई बार अपने बयान बदले. साल 2018 में यूपी पुलिस ने पीड़ित महिला पर आरोप लगाए कि गायत्री की ओर से उसे कुछ आर्थिक लाभ मिले हैं. वो पूर्व मंत्री से कई बार जेल में मिलने भी गई थी. उसी दौरान महिला ने प्रजापति के पक्ष में एक बयान भी दिया था जो काफी चर्चा में रहा था. उसका कहना था,
“गायत्री प्रसाद मेरे लिए पिता की तरह हैं. रिश्ते को राजनीतिक लाभ के लिए कलंकित किया जा रहा है.”
इसके बाद साल 2019 में महिला ने गौतमपल्ली थाने में एक एफआईआर दर्ज कराई. इसमें उसने आरोपी मंत्री गायत्री प्रजापति को क्लीनचिट दे दी. महिला का कहना था कि राम सिंह और उसके साथियों ने उसकी बेटी को जान से मारने की धमकी देकर पूर्व मंत्री के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था. पीड़िता के मुताबिक इस मामले का मुख्य आरोपी राम सिंह है, जिसने पूर्व खनन मंत्री पर खनन का पट्टा देने के लिए दबाव डाला था. पट्टा न मिलने पर उसने प्रजापति को रेप केस में फंसा दिया.कोर्ट ने क्या कहा…?
10 नवंबर को सांसद और विधायकों से जुड़े आपराधिक मामलों की लखनऊ स्थित विशेष अदालत ने दस नवंबर को इस मामले का फैसला सुनाते हुये प्रजापति के साथ दो अन्य आरोपियों को दोषी करार दिया था। अदालत के विशेष जज पवन कुमार राय ने प्रजापति, आशीष शुक्ला और अशोक तिवारी को इस सनसनीखेज मामले में दोषी ठहराने के बाद इनके जुर्म की सजा मुकर्रर की। वहीं, प्रजापति के सुरक्षाकर्मी रहे चंद्रपाल सहित चार अभियुक्तों, रूपेश्वर उर्फ रूपेश, विकास वर्मा और अमरेंद्र सिंह पिंटू को अदालत ने साक्ष्यों के अभाव में बरी कर दिया था।