कानपुर दंगा: कानपुर दंगों के तार पश्चिम बंगाल और मणिपुर से जुड़ रहे हैं -

कानपुर दंगा: कानपुर दंगों के तार पश्चिम बंगाल और मणिपुर से जुड़ रहे हैं

kanpur violence
 

जब देश के किसी शहर में प्रधानमंत्री हो , राज्य के मुख्य मंत्री हो और देश के राष्ट्रपति हो तभी उनके कार्यक्रम से करीब 40 किलो मीटर दूर दंगो जैसी घटनाएं घटने लगे तो देश के लिए इससे बड़ी शर्म की बात नहीं हो सकती है हम चर्चा कर रहे हैं कानपुर दंगे की जो अभी अभी कानपुर शहर को धार्मिक कट्टरता ने सौंपा है

दैनिक भास्कर के आदित्य द्विवेदी की रिपोर्ट के अनुसार कानपुर के बेकनगंज इलाके में शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद हुई हिंसा के तार पश्चिम बंगाल और मणिपुर से जुड़ रहे हैं। दंगे में चरमपंथी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) का नाम भी सामने आ रहा है। कानपुर के पुलिस कमिश्नर विजय सिंह मीणा ने बताया कि PFI ने 3 जून को पश्चिम बंगाल और मणिपुर में बाजार बंद का आह्वान किया था। इसी दिन कानपुर में जुमे की नमाज के बाद बाजार बंद कराने पर हिंसा भड़की।

ऐसे शुरू हुआ था विवाद

3 जून की दोपहर 1:45 बजे यतीमखाना के पास की मस्जिद में जुमे की नमाज अदा की गई। करीब 2.30 बजे लोग बाहर निकले। वो बाजार में खुली हुई दुकानों को बंद कराने लगे। हिंदू दुकानदारों ने दुकानें बंद करने से मना किया। कुछ अराजक तत्वों ने चंद्रेश के हाता में घुसकर पथराव किया। दो पक्ष आमने-सामने आ गए।

भीड़ को काबू करने के लिए 12 थानों का पुलिसबल बुलाना पड़ा। पुलिस ने कई राउंड फायर किए। लाठीचार्ज किया। 5 घंटे बाद उपद्रव थमा। 12 से ज्यादा लोग चोटिल हुए। हिंसा के बाद देर रात सीएम योगी ने गोरखपुर मंदिर से वर्चुअल बैठक की। इसके बाद बेकनगंज थाने में 3 एफआईआर दर्ज की गईं।

कौन है इस साजिश का मास्टरमाइंड

मास्टरमाइंड हयात जफर, जावेद अहमद खान, मो. राहिन और मो. सूफियान को गिरफ्तार किया गया है। आरोपी जावेद लखनऊ के हजरतगंज में एशियन वायस पोस्ट यूट्यूब चैनल चलाता है। यहीं वो अपने साथियों के साथ छिपा हुआ था।
उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री ने क्या एक्शन लिया..?

सीएम योगी ने कानपुर का माहौल खराब करने वालों पर NSA और गैंगस्टर की कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। उनकी संपत्तियों पर बुलडोजर चलाया जाएगा। थोड़े दिन हम पीछे जाएं तो कुछ पहले से कुछ पकने का राज पता चलता है नौ दिन पहले यानी 26 मई को एक न्यूज चैनल पर ज्ञानवापी मामले को लेकर डिबेट हो रही थी।

इसमें भाजपा नेता नूपुर शर्मा भी मौजूद थीं। डिबेट के सवाल पर नूपुर ने पैगंबर मोहम्मद पर एक बयान दिया। नूपुर शर्मा के इस बयान पर कई मुस्लिम संगठनों ने नाराजगी जताई। फिर 27 मई को मौलाना मोहम्मद अली जौहर फैंस एसोसिएशन के अध्यक्ष हयात जफर हाशमी ने बाजार बंद का आह्वान किया।

कानपुर दंगे में हयात जफर को मिला हजारों का समर्थन

29 मई को मुस्लिम इलाके के हजारों लोगों ने हयात को अपना समर्थन दिया। 30 मई को हयात ने मुस्लिम समुदाय के लोगों के साथ बैठक की। 1 जून को हयात ने 5 जून तक बंदी और जेल भरो आंदोलन टाल दिया, लेकिन बाजार में लगे 3 जून के बंदी के पोस्टर नहीं हटाए गए। इसके बाद 2 जून को बेकनगंज इलाके में फिर दुकानों को बंद करने की अपील की गई।

मस्जिदों में हुई तकरीरों में कहा गया कि वो लोग पैगंबर मोहम्मद पर की गई किसी भी टिप्पणी को बर्दाश्त नहीं करेंगे। दंगे के बाद

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बेकनगंज थाना प्रभारी नवाब अहमद की तहरीर पर कई लोगों पर केस किए गए नूपुर के बयान पर कानपुर में पोस्टर लगाए गए। 28 मई को हयात की तरफ से 3 मई को जेल भरो आंदोलन का आह्वान किया गया।

इन सब पर हुई FIR

जिनमें हयात जफर हाशमी, एहितशाम कबाड़ी, जीशान, आकिब, निजाम कुरैशी, आदिल, इमरान कालिया, शहरयान, जौहर फैंस एसोसिएशन का युसुफ मंसूरी जांहर, आमिर जावेद, मुदस्सिर, मोहम्मद आजाद, जीशान एवेंजर, अब्दुल सकील, इरफान चड्‌डी, शेरा, सफी, अरफित आसिफ रैना का भाई, इसराईल, अकील खिचड़ी, अदनान, परवेज उर्फ चिक्कन, शादाब शोएब का भाई, इसरत अली, मो. राशिद, अलीशान, नासिर, आशिक अली, मो. आकिब, मो. साजिद, अनस, शाहिद, बिलाल, हाजी मो. नसिर, हबीब, रहमान समेत सैकड़ों अज्ञात के खिलाफ FIR दर्ज हुई।

कानपुर दंगा अभी तक जांच कहां तक पहुंची ..?

कानपुर पुलिस कमिश्नर विजय सिंह मीणा ने बताया कि शासन को पूरे मामले की रिपोर्ट भेज दी गई है। हिंसा के बाद परेड चौराहा से लेकर मूलगंज चौराहा और पेंचबाग, नई सड़क, इफ्तखाराबाद, बकरमंडी समेत आसपास के इलाकों में 50 PRV बाइक रात भर गश्त करती रहीं।

पुलिस के मुताबिक, PFI की फंडिंग से कानपुर का माहौल बिगाड़ने का प्रयास हुआ है। इसलिए मुख्य आरोपियों के बैंक खातों के ट्रांजैक्शन की जांच हो रही है। जिन 6 मोबाइल को जब्त किया गया है, उनका कॉल डिटेल खंगाला जा रहा है। आरोपियों से मिले कुछ अहम दस्तावेजों को फोरेंसिक जांच के लिए भेजा गया है।

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