बेरोजगारी एक अभिशाप
देश की आजादी के बाद बेरोजगारी भारत वर्ष के लिए एक बहुत बड़ी समस्या बन गई जो आज भी जिंदा है l आजादी के बाद कई अर्थशास्त्रियों ने नए नए प्रारूप बनाए कि जिससे बेरोजगारी जैसे अभिशाप से मुक्ति मिल सके कुछ प्रारूपों से भारत की स्थिति में कुछ हद तक बदलाव भी देखने को मिले लेकिन समय के साथ-साथ प्रारूपों की वरीयता समय-समय पर कम होने लगी जिसकी जिम्मेदार कुछ हद तक सत्ताधारी सरकारें रही हैं और कुछ हद तक भारतीय नागरिक स्वयं इसके जिम्मेदार रहे हैं l
समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने बताया कि साल 2019 के आखिरी तीन महीनों में भारत की विकास दर पिछले छह साल में सबसे कम रही है. विश्लेषकों का कहना है कि कोरोना वायरस के चलते भारतीय इकोनॉमी में आगे भी सुस्ती देखी जा सकती है.ऐसे ही आंकड़े तरह-तरह की न्यूज़ एजेंसी अपने अपने सर्वे के अनुसार दे रही है काफी हद तक ये आंकड़े सही होते हैं जिसकी जिम्मेदार यहां कि सरकारें होती हैं
बेरोज़गारी की ज़िम्मेदार है सरकार
सरकार की गलत नीतियों और बेतुके कार्यों में सरकार अपना समय और रुपया बर्बाद करती है ये वक्त अब किसी एक सरकार के लिए नहीं है सभी राज्यों में बैठी सत्ताधारी सरकारें और केंद्र में वर्तमान और भूतकाल की सरकारें है बेरोजगारी का एक मुख्य कारण युवा भी है भारत में सभी को सरकारी नौकरी करनी है कोई प्राइवेट नौकरी नहीं करना चाहते है सब के बड़े-बड़े सपने हैं
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सब सरकार के भरोसे बैठे हैं भारत में लोग खुद का कुछ नहीं करना चाहते हैं मानता हूं सरकार का कार है आपको रोजगार दिलाना लेकिन आप पूरी तरह से सरकार के भरोसे नहीं बैठ सकते हैं भारत की नई युवा पीढ़ी अपनी शान और शौकत में डूबी हुई है कोई छोटे-मोटे कार नहीं करना चाहता है सबको ऑफिस के दफ्तर ही चाहिए सब मालिक बनना चाहते हैं लेकिन मालिक की तरह काम नहीं करना चाहते मेरा व्यक्तिगत मानना है कि कोई भी युवा हो उसे अपनी काबिलियत के अनुसार ही सोचना चाहिए अपने अंदर झांके कि वह क्या कर सकता है
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फिर उसी रास्ते पर चलने की कोशिश करें.साधारण रूप से उच्च शिक्षा प्राप्त करके हम केवल नौकरी करने लायक बन पाते हैं। शिक्षा में श्रम को कोई महत्त्व नहीं दिया जाता।अत: शिक्षित व्यक्ति शारीरिक मेहनत के काम करने से कतराते हैं। सभी व्यक्ति सफेदपोशी की नौकरियो के पीछे भागते हैं। ऐसे काम इतने अधिक नहीं होते। जिनमें सभी शिक्षित व्यक्ति लग सके। इसीलिए क्लर्को की छोटी नौकरी तक के लिए भारी प्रतियोगिता होती है।
रोजगार कार्यालयों में लगी बेरोजगारों की कतार
रोजगार कार्यालयों में शिक्षित बेरोजगारों की लम्बी-लम्बी कतारे देखी जा सकती हैं भारत में बेरोजगारी एक बहुत बड़ी समस्या है। हालत ये कि लोग इतनी पढ़ाई करते हैं, अपनी पढ़ाई पर इतना खर्च भी करते हैं पर बाद में जब वे नौकरी ढूंढने जाते हैं तो या तो उन्हें साधारण सी ₹10000 तक नौकरी मिलती है या फिर कितने ही लोगों को तो नौकरी ही नहीं मिलती।
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इसके पीछे सबसे प्रमुख कारण है कि लोगों को उस तरह की शिक्षा ही नहीं दी जाती जो व्यावहारिक हो, व्यावसायिक हो और लोगों को आगे जाकर नौकरी ढूंढने में सहायता करें। हमें स्कूल और कॉलेज में सिर्फ रटना और किताबी चीजें सिखायी जाती हैं
सरकारी नौकरियां हो रही खत्म
जो असल जिंदगी से बहुत दूर होती हैं। ऐसी शिक्षा का नौकरी पाने में कोई योगदान नहीं होता।दूसरा भारत की एक मुख्य समस्या है नए रोजगार न खुलना। सरकारी नौकरियां जो थी वो खत्म होती जा रही हैं और नई प्राइवेट कंपनियां भी इतनी नहीं खुल रही हैं जो सबको रोजगार दे सकें।तीसरा देश की जनसंख्या जितनी तेजी से बढ़ रही है, उतनी तेजी से संसाधनों को बढ़ाना बहुत मुश्किल है और इस कारण आज के समय लोग अधिक बेरोजगारी की परेशानी का सामना कर रहे हैं।
बेरोजगारी जैसी समस्याओं का समाधान
हमे अपनी शिक्षण प्रणाली को रोजगार अनुकूलित बनाना होगा। व्यावसायिक शिक्षा को महत्व देने की आवश्यकता है। जो युवक स्वं रोजगार करने की चाह रखते है उन्हें क़र्ज़ प्रदान करना सरकार की जिम्मेदारी होनी चाहिए। देश में कारखानों और नए उद्योगों की स्थापना करनी होगी जहाँ बेहतर रोजगार के अवसर मिल सके। सबसे पहले भ्र्ष्टाचार जो पीढ़ियों दर चली आ रही समस्याएं है जिन पर रोक लगाना आवश्यक है युवाओं की उम्मीदों को सही दिशा में प्रोत्साहित करना होगा ताकि वह रोज़गार अवसर हेतु नविन विचारो को तय कर सके।
भारत में बेरोजगारी मिटाने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही है। आए दिन सरकार कई योजनाएं ले आयी है जैसे प्रधानमंत्री स्वरोजगार योजना और शिक्षित बेरोजगार लोन योजना जिनका हमे सोच समझकर उपयोग करने की ज़रूरत है। गरीबी की रेखा में जीने वाले लोगो की अशिक्षा को मिटाने की पुरज़ोर कोशिश करनी होगी।