'इंडिया' में सीटों का वितरण बाक़ी, फिर जेडीयू ने क्यों की उम्मीदवार की सूचना - सत्य न्यूज़ हिंदी

‘इंडिया’ में सीटों का वितरण बाक़ी, फिर जेडीयू ने क्यों की उम्मीदवार की सूचना

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इंडिया: इस वर्ष होने वाले इलेक्शन के लिए जनता दल यूनाइटेड ने वारूणी अरुणाचल प्रदेश की लोकसभा सीट से अपने प्रत्याशी की सूचना कर दी है ।

अच्छी बात यह है कि विरोधी के गठबंधन ‘इंडिया’ में अभी तक सीटों की साझेदारी को लेकर कुछ भी फ़ैसला नहीं हुआ है । जेडीयू का मानना है कि उसने पहले ही कांग्रेस को अपनी मर्जी बता दी थी

जेडीयू ने प्रतीची अरुणाचल प्रदेश की लोकसभा सीट से अपने प्रदेश अध्यक्ष रूही तागुंग को इस वर्ष होने वाले लोकसभा इलेक्शन के लिए पार्टी की ओर से उम्मीदवार बनाया है ।

अरुणाचल प्रदेश में लोकसभा की दो सीटें हैं तथा इन दोनों ही सीटों पर अभी तो भाजपा का कब्ज़ा है. अरुणाचल (पश्चिम) सीट से भाजपा के किरेन रिजिजू सांसद हैं और पूर्वी सीट से भाजपा के ही तापिर गाओ सांसद हैं ।

अरुणाचल प्रदेश की सिर्फ एक सीट जेडीयू को लड़नी है ये बात पहले से तय थी तथा इस मामले में हमने कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को बता दिया था ।

अफ़ाक़ अहमद ख़ान के सिसाब से, “कांग्रेस ने एक माह पूर्व ही अरुणाचल की पूर्वी लोकसभा सीट से अपने प्रत्याशी का ऐलान कर दिए था।

जेडीयू की राज्य इकाई का निरन्तर प्रेशर था कि हम भी पार्टी के उम्मीदवार का घोषणा कर दें. हमारी पार्टी अरुणाचल में ज़ादा मज़बूत है, हमें वहां से इलेक्शन लड़ना ही था ।

जेडीयू ने फस्ट टाइम अरुणाचल प्रदेश के कोई सीट से लोकसभा इलेक्शन लड़ने का निर्णय किया है ।

अरुणाचल प्रदेश में जेडीयू कितनी मजबूत

वर्ष 2019 में हुए राज्य विधानसभा इलेक्शन में जेडीयू ने अपने 15 प्रत्याशी खड़े किए थे, जिस में उसके 7 प्रत्याशी इलेक्शन जीते थे ।

जबकि बाद में जेडीयू के सभी विधायक बारी बारी कर के भाजपा में शामिल हो गए थे. माना जाता है कि इस बात से जेडीयू के अंदर भाजपा को लेकर काफ़ी ज़ादा नाराज़गी थी ।



इस प्रकार से अरुणाचल प्रदेश में भाजपा के बाद विधानसभा में सेकंड सबसे दल के तौर पर जेडीयू उठी थी । लेहाज़ा राज्य में जेडीयू के पास कुछ भी विधायक नहीं है ।

उन इलेक्शन में भाजपा ने साठ में से 41 सीटें मिली थीं, जबकि कांग्रेस के झोली में सिर्फ 4 सीटें आई थीं ।

कांग्रेस के राज्यसभा सांसद तथा बिहार प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह के हिसाब से, “गठबंधन में कुछ मतभेद नहीं है ।

यदि अरुणाचल को लेकर किसी ने कुछ बात बोली है तो अपने आप कहा होगा । सीटों की भागिता पर गठबंधन के भीतर लगातार बात चल रही है ।

विपक्ष में कोई दरार नहीं

अखिलेश सिंह ने उन सभी सूचना को सही नहीं बताया है जिन में यह कहा जा रहा है कि बिहार के सीएम नीतीश कुमार खुश नहीं चल रहे हैं. उनका मानना है कि नीतीश कंटिन्यू सम्बन्ध में हैं तथा गठबंधन के सारे मुद्दों पर बातचीत चल रही है ।

इस बीच भाजपा निरंतर यहा इलज़ाम लगाती रही है कि विरोधी के गठबंधन में सीटों का बटवारा को लेकर कुछ निर्णय नहीं हुआ तथा इसके बग़ैर ही विरोधी दल ख़ुद अपना प्रत्याशी तय कर रहे हैं ।
३- बीते कुछ दिन यानि 29 दिसंबर को राजीव रंजन सिंह उर्फ़ ललन सिंह ने जेडीयू अध्यक्ष अस्थान से त्यागपत्र दे दिया था । उस समय जेडीयू की ओर से कहा गया था कि ललन सिंह मुंगेर की खुद की लोकसभा सीट पर ज़्यादा वख्त देना चाहते हैं ।

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जबकि मुंगेर सीट को लेकर भी आज भी कोई निर्णय नहीं हुआ है कि यह सीट ‘इंडिया’ के किस पार्टी के हिस्से में जाएगी ।

अगर बिहार की बात करें तो 40 लोकसभा सीटों में 16 पर जेडीयू का दबदबा है । यहां कांग्रेस पार्टी के पास सिर्फ एक सीट जबकि आरजेडी के पास कुछ भी लोकसभा सीट नहीं है ।

राष्ट्रीय जनता दल के व्याख्याता मृत्युंजय तिवारी का मानना है कि हम बिहार की कुल 40 सीटों पर अपनी क्रिया कर रहे हैं

इसलिए ताकि सहभागिता के बाद अपने सहभागिता दल को इलेक्शन के वख्त हेल्प कर सकें । इसका उद्देश्य, यह नहीं है कि हम सब सीटों पर चुनाव लड़ेंगे ।

विपक्ष में संदेह की स्थिति’

मृत्युंजय तिवारी इलज़ाम लगाते हैं “विपक्ष में टूटने की अफ़वाह भाजपा की एक षड्यंत्र है, असलबात उनको डर लग रहा है इस वजह से ऐसी बात कर रहे हैं ।

भाजपा यह नहीं बताती कि एनडीए में क्या हो रहा है, आखिर चिराग पासवान कहाँ हैं, कुशवाहा कहा पर हैं? भाजपा को हमसे कुछ ज़्यादा ही मतलब रहता है कि हम लोग क्या कर रहे हैं ।

लव कुमार मिश्रा कहना हैं,की “अरुणाचल में प्रत्याशी की ऐलान कांग्रेस पर दबाव बनाने की जेडीयू की परिश्रम हो सकती है ।

असल बात विपक्ष में पूरी तरह संदेह की स्थिति है. इससे पूर्व जेडीयू ने देवेश चंद्र ठाकुर को सीतामढ़ी से जो कि संजय झा को दरभंगा से अपना प्रत्याशी बता दिया है ।

लव कुमार मिश्रा के अनुसार लालू प्रसाद यादव 29 दिसंबर के बाद से गोपनीय तरीके से खामोश हैं । न तो एक जनवरी को नीतीश ने राबडी देवी को जन्मदिन की बधाई दी ।

इंडिया की लड़ाई मे बीजेपी का फायदा ।

इंडिया मे न ही नीतीश तथा लालू ने एक-दूसरे को नये वर्ष की आर्शीवचन दीं तथा ऐसे हालात का सीधा फायदा भाजपा को मिल रहा है ।

इसी बीच लोकसभा इलेक्शन की तैयारी के लिहाज से भाजपा ने बिहार में अगले कुछ हफ़्तों में अपने बड़े नेताओं की क़रीब बारह रैलियों की योजना बनाई है ।

जनवरी तथा फ़रवरी में होने वाली इन ठठ्ठा करना में नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह तथा पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा समिलित होंगे ।

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जबकि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी जनवरी माह में झारखंड के रामगढ़ से अपनी यात्रा की योजनाबद्धता बनाई है । झारखंड में फ़िलहाल भाजपा विपक्षी दलों का आदेश है, जिस की वजह से झारखंड मुक्ति मोर्चा तथा कांग्रेस खास सहयोगी हैं ।

मगर झारखंड में भी मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के आगामी को लेकर लगातार अटकलें लगाई जा रही हैं, ऐसे में रामगढ़ में नीतीश को कितना सहमति मिलेगा तथा इसमें ‘इंडिया’ से मित्र हेमन्त सोरेन या कांग्रेस की क्या योगदान होगा यह भी फ़िलहाल पूरी तरह साफ़ नहीं है ।

इससे पहले हाल ही में हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में भी विपक्षी दलों के ‘इंडिया’ गठबंधन में एकता का अभाव साफ दिखा था ।

उस समय कांग्रेस ने अकेले ही विधानसभा इलेक्शन लड़ने का निर्णय किया था तथा मध्य प्रदेश में बिना सपोर्ट के अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी ने भी अपने प्रत्याशी उतारे थे ।

इस प्रकार से विरोधी गठबंधन के एक न होने से कांग्रेस को बड़ा घाटा हुआ था । कांग्रेस मध्य प्रदेश, राजस्थान तथा छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों में बुरी तरह हार हुई थी ।

अब लोकसभा चुनावों के पूर्व भी बिना सपोर्ट के उम्मीदवारों की ऐलान से भी भ्रम की यह स्थिति और ज़ादा बढ़ सकती है

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