INDIA गठबंधन: TMC, कांग्रेस तथा पश्चिम बंगाल में सीट बंटवारे का कठिन सवाल…
पश्चिम बंगाल में इलेक्शन गठबंधन को लेकर कांग्रेस तथा टीएमसी TMC के दरमियान ज़ुबानी जंग लगातार जारी है। विरोधी दलों के गठबंधन ‘INDIA’ के लिए जिस राज्य में सीटों की साझेदारी सबसे कठिन दिखती है वह पश्चिम बंगाल ही है।
पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में गुज़रे कुछ दिनों जब रिपोटरों ने कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी से सवाल दागा कि ममता बनर्जी राज्य में कांग्रेस पार्टी को सिर्फ दो सीटें देना चाहती हैं तो इस बात पर अधीर रंजन चौधरी ज़ादा खफा दिखे।
अधीर रंजन चौधरी ने बताया की , “ये दो सीटें मेरे पास हैं। हमको उनकी रहम की बिलकुल जरूरत नहीं है। हम खुद अपने बल पर इलेक्शन लड़ सकते हैं हमको लगता है।
वो नहीं चाहतीं कि गठबंधन हो क्योंकि यदि गठबंधन नहीं होगा तो सबसे ज़्यादा भाजपा के नरेंद्र मोदी को होगी तथा ममता बनर्जी अब जो कर रही हैं, वो नरेंद्र मोदी की पूजा अर्चन में लगी हुई हैं।
सिर्फ यही नहीं शुक्रवार के दिन पश्चिम बंगाल के उत्तरी 24 परगना में एक खोज के लिए गई कार्य का संचालन निदेशालय मतलब ईडी की टीम पर हुए अकर्मण के लिए भी अधीर रंजन चौधरी ने भी ममता गोवेनमेंट पर लक्ष्य साधा है।
ममता बनर्जी कई बार इलज़ाम लगाती रही हैं कि वो केंद्र सरकार यानि मोदी सरकार के विरुद्ध, लड़ रही हैं, मगर राज्य के कांग्रेस तथा वाम दलों के नेता उनके विरुद्ध बोलते रहते है।
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असलबाट ममता के कहा हुआ प्रस्ताव के पीछे राज्य में इलेक्शन में कांग्रेस का प्रदर्शन है। वर्ष 2019 के लोकसभा इलेक्शन में राज्य की 42 सीट में टीएमसी TMC की 22, भाजपा की 18 तथा कांग्रेस को दो ही सीटें मिली थीं जो की वाम दल राज्य की कुछ भी सीट नहीं जीत सके।
आँकड़े क्या बोलते हैं
बीते लोकसभा इलेक्शन के आँकड़े बोलते हैं कि पश्चिम बंगाल की 42 में से लगभग 40 सीटों पर भाजपा तथा टीएमसी TMC के बीच सीधा टक्कर हुये उन इलेक्शन में कांग्रेस को सिर्फ बहरामपुर तथा मालदा दक्षिण की सीट पर विजय मिली थी।
जो की राज्य की 34 सीट पर कांग्रेस के प्रत्याशी को दस प्रतिशत से भी कम वोट मिले थे। जिस मे से मैक्सीमम सीटों पर तो कांग्रेस को 2 प्रतिशत के लगभग ही वोट मिले थे।
आखिर क्या है चैलेंज
ऐसा ही कंडीशन वाम दलों का था। सीपीएम के प्रत्याशी को पांच सीटों पर दस प्रतिशत या इससे भी ज़्यादा वोट मिले मगर इनमें से 4 सीट दक्षिण, श्रीरामपुर जादवपुर, कोलकाता तथा बर्दमान पूर्व में टीएमसी TMC की विजय हुई थी. जो की बर्दमान-दुर्गापुर की सीट भाजपा के खाते में गई थी।
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जब की अधीर रंजन चौधरी बंगाल के बहरामपुर से mp हैं तथा वो फ़िलहाल लोकसभा इलेक्शन में कांग्रेस के नेता हैं। मुमकिन है एक वरिष्ठ कांग्रेसी पार्टी के नेता तथा ममता बनर्जी के दरमियान रिश्तों की यह तल्ख़ी भी दोनों पार्टी के बीच गठबंधन के रास्ते में ज़ादा बड़ी रोक टोक मानी जाती है।
कांग्रेस पार्टी की मांग क्या ठीक है ?
एक पत्रकार समीर के पुरकायस्थ के हिसाब से, “टीएमसी TMC तथा कांग्रेस के टॉप नेता चाहते हैं कि दोनों पार्टी में गठबंधन हो, मगर अधीर रंजन चौधरी ऐसा बिलकुल नहीं चाहते हैं।
वह 7 सीटों की मांग करते हैं, जो की राज्य में कांग्रेस के सब नेताओं को भी ये पता है कि कांग्रेस की कंडीशन क्या है इसी वजह से वो गठबंधन के पक्ष में हैं”