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बिहार के कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने पर भाजपा की क्या योजना है?

Karpoori Thakur
 

Karpoori Thakur

पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर Karpoori Thakur को मोदी सरकार ने मरणोपरांत भारत रत्न देने का फ़ैसला किया है । इस का ऐलान कर्पूरी ठाकुर की जयंती से बिलकुल एक दिन पूर्व की गई, मोदी सरकार के ऐसा करने के बाद बिहार से दिल्ली तक राजनितिक हलचल Politics Halchal काफी तेज़ हो गई ।

बिहार के कर्पूरी ठाकुर Karpoori Thakur दो बार सीएम रहे तथा उनको ‘जननायक भी कहा गया । उनका स्वर्गवास वर्ष 1988 में हुआ तथा इसके 36 वर्ष गुजरने के बाद उनको हिंदुस्तान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिया जा रहा है ।

बिहार के लालू प्रसाद यादव ने भी कहा कि कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न काफी पहले ही मिल जाना चाहिए था । भारत रत्न के घोषणा के बाद से ही हर राजनीतिक दल इसका कल्याण लेने में जुटे दिखे

जाति वाद की सियासत पर निशाना

24 जनवरी, वर्ष 1924 को समस्तीपुर के पितौंझिया इलाके में जन्में कर्पूरी ठाकुर Karpoori Thakur बिहार में एक बार तो उपमुख्यमंत्री तथा दो बार मुख्यमंत्री तथा दशकों तक विधायक तथा विरोधी दल के नेता रहे ।

Karpoori Thakur वर्ष 1977 में दूसरी बार सीएम बनने के बाद मुंगेरीलाल कमिशन लागू करके राज्य की जॉब आरक्षण को लागू करने के लिए सदैव याद किया जाता है ।



कांग्रेस सहित जादातर विपक्षी पार्टियों ने जातिगत सर्वे को वख्त की ज़रूरत बताया तथा जितनी आबादी उतना हक़ नारे दिए ।

बिहार के नीतीश कुमार की सरकार ने सर्वेक्षण के बाद एक कदम उठाते हुए राज्य में आरक्षण का सीमा बढ़ाकर 75 प्रतिशत कर दिया ।

Karpoori Thakur को लेकर कमंडल के बाद मंडल की सियासत

अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा की गई राम लला की मंदिर बनवाना भाजपा के एलानणापत्र का हिस्सा रहा था ।

इसी वजह से कहा गया कि राम मंदिर बन जाने से आने वाले इलेक्शन में भाजपा को इसका फ़ायदा हो सकता है जबकि भाजपा हिंदू वोट बैंक को कितना कर पाएगी ये छह माह बाद ही पता चल सकेगा ।

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मगर इसके 24 घंटे के अंदर कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने के घोषणा को सियासी विश्लेषक कमंडल के साथ साथ मंडल वोट बैंक को बराबर करने की रणनीति से जोड़ रहे हैं ।

बिहार में नीतीश कुमार क्या दुबारा पाला बदल सकते हैं

असल बात ये है की बिहार के कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न घोषणा के बाद नीतीश कुमार ने अपनी मांग याद दिलाते हुए नरेंद्र मोदी तथा दिल्ली सरकार का आभार जताया ।

मगर लालू प्रसाद यादव ने पुछा कि उनके सियासी तथा वैचारिक गुरु Karpoori Thakur को भारत रत्न काफी पहले मिलना चाहिए था ।

बिहार के कर्पूरी ठाकुर की सियासी विरासत को आगे ले जाने का दावा करने वाले दोनों नेताओं की प्रतिक्रियाओं के फर्क में क्या कोई इशारा छिपा हो सकता है?

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