Pune: भीमा कोरेगांव में छह साल के बाद कौन-कौन से अभियुक्तों को मिली ज़मानत... सत्य न्यूज़ हिंदी

Pune: भीमा कोरेगांव में छह साल के बाद कौन-कौन से अभियुक्तों को मिली ज़मानत…

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पुणे Pune के नज़दीक भीमा कोरेगांव में हुए विवाद को छह साल पूरे हो गए हैं। 1 जनवरी, 2018 को वहां पर ऐसी हिंसा देखने को मिली थी, जिसकी वजह से पूरे देश को हैरानी कर दिया था।

हकीकत में पहली जनवरी 1818 को पेशवा बाजीराव पर अंग्रेज़ सैनिकों की फतह हुई थी। और इस फतह की दौ सौवीं जयंती का ख़ुशी दलित समूह, के लोग मनाने के लिए भीमा कोरेगांव में एकजुट हुए थे।

दलित समूह, अंग्रेज़ फ़ौज की इस फतह का जश्न इसलिए मनाते हैं, क्योंकि ऐसा कहा जाता है, कि फतह करने वाली ईस्ट इंडिया कंपनी से जुड़ी टुकड़ी में अधिकतर महार समुदाय के लोग थे, जिनको अछूत माना जाता था।

कई विश्लेषक दो सौ साल पहले लड़ी गई लड़ाई को आत्मरक्षा तथा, आज़ादी की संग्राम के तौर पर भी देखते हैं। इसी उत्सव, के समय स्थानीय संगठन एल्गार परिषद पर अशांति करने के इलज़ाम लगे तथा देशव्यापी पूछताछ का सिलसिला शुरू हुआ।

पुणे पुलिस Pune Police का प्रभुत्व

पुणे पुलिस Pune Police का ये कहना है कि ‘भीमा कोरेगांव में 1 जनवरी वर्ष 2018 को अशांति भड़की, उसके लिए एल्गार परिषद उत्तरदायी है,

उस संगठन ने हिंसा से एक दिन पूर्व पुणे Pune के शनिवारवाड़ा में एक मीटिंग बुलाई थी, मीटिंग के अगले दिन जो अशांति हुई उसके कनेक्शन इस बैठक से जुड़ते हैं इनके पीछे बड़ी नक्सल वजह थी।



इससे ठीक कुछ महीने बाद इस घटना से जुड़ा हुआ, मामले की तहकी कात पुणे पुलिस Pune police ने आरम्भ की तथा इस छानबीन में देश के अलावा राज्यों से साम्यवादी या उस विचारधारा के नज़दीक रहने वाले कार्यकर्ताओं, लेखकों, पत्रकारों तथा प्रोफेसरों को अरेस्ट किया गया।

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इस मैटर में अब तक कुल 16 लोगों को अरेस्ट किया जा चुका है इनमें से कुछ को काफ़ी टाइम बाद ज़मानत हो गई, कुछ लोग अभी भी जेल में हैं, एक दोषी की मौत भी हो गई।

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