SBI इलेक्टोरल बॉन्ड की जो जानकारी देने जा रहा, उसमें से क्या सामने आएंगी
SBI इलेक्टोरल बॉन्ड: सर्वोच्च न्यायालय ने 11 मार्च 2024 को इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी हुई जानकारी देने के लिए SBI को और वख्त देने से अस्वीकृति कर दिया ।
न्यायालय ने कहा कि SBI 12 मार्च 2024 तक इलेक्टोरल बॉन्ड की ख़रीद से जुड़ी इत्तिला उपलब्ध कराए ।
न्यायालय ने इलेक्शन आयोग को इस इत्तिला को 15 मार्च 2024 की शाम के पांच बजे तक अपनी बेवसाइट पर सर्वहितकारी करने का भी हिदायत दिया है ।
दूरदर्शी के कुछ पैरोकारों ने न्यायालय के इस अद्ल का अभिनंदन किया है । विवेचन का मानना है कि इलेक्टोरल बॉन्ड की परिचय सार्वजनिक होने के बाद सियासी दलों की फंडिंग के बारे में पता चलेग ।
अदालत में आखिर क्या हुआ?
SBI ने 4 मार्च को उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर की थी । इस अर्ज़ी में SBI ने इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ा वृत्तांत देने के लिए 30 जून तक का वख्त देने की मांग की थी ।
सुप्रीम कोर्ट ने 15 फ़रवरी को दिए निर्णय में कहा था कि SBI इलेक्टोरल बॉन्ड को किसने ख़रीदा तथा किसने उसे भुनाया, इसकी वाकफियत 6 मार्च 2024 तक हस्तगत कराए ।
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अपनी अर्ज़ी में SBI ने कहा था कि इलेक्टोरल बॉन्ड जारी किए जाने तथा उसे भुनाए जाने से मिला डेटा दो अलग-अलग स्थान पर रखे गए हैं ।
उसका मानना था की ये डेटा उसके सेंट्रल डेटाबेस में नहीं है । उसका मानना था कि इसका पड़ाव करने के लिए ज़ादा काम करने की आवशकता पड़ेगी ।
उसकी तर्क थी कि हर बॉन्ड पर एक अनुपम नंबर दिया गया है, उसका अल्ट्रा वॉयलट प्रकाश में पढ़ना पड़ेगा ।
उस के बाद ही बॉन्ड की जानकारी मिलेगी । इसके अतिरिक्त उस पर कोई तथा ऐसा रेखा नहीं है, जिससे यह लोकेशन लग सके कि उसका कस्टमर कौन है वो इसलिए क्योंकि ये बियरर बॉन्ड हैं ।
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SBI का मानना था कि बॉन्ड की तादाद की जानकारी को डिज़िटल रीति से रखा गया है, वहीं पर उसे विक्रय वालों की परिचय भौतिक शक्ल में रखी गई है । इस में दोनों को जोड़ने में ज़ादा वख्त लगेगा ।
अप्रैल वर्ष 2019 से फरवरी वर्ष 2024 के बीच 22,217 बॉन्ड बेचे गए हैं, जिनकी वाकफियत का उन्हें भेंट करना था ।
न्यायालय ने आखिर क्या कहा है?
सर्वोच्च न्यायालय ने एसबीआई की अर्ज़ी को ख़ारिज कर दिया । निर्णय में कहा गया है कि न्यायालय ने SBI को यह नहीं कहा है कि उसे इन दोनों इत्तला मिलाना है ।
न्यायालय ने 12 अप्रैल वर्ष 2019 को दिए हुई अपने एक आदेश में सियासी दलों को इलेक्शन आयोग को हर इलेक्टोरल बॉन्ड के दानदाता का व्याख्या देने का हुक्म दिया था ।