Electoral Bonds को लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने SBI को दिया प्रतिक्रिया जताई निराशा - सत्य न्यूज़ हिंदी

Electoral Bonds को लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने SBI को दिया प्रतिक्रिया जताई निराशा

Electoral Bonds
 

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Electoral Bonds: उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार यानि आज SBI को इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़े हुए यूनिक अल्फान्यूमरिक कोड को न बताने के सबब में नोटिस जारी किया है ।

इस कोड के माध्यम से Electoral Bonds से इलेक्शन चंदा देने वालों तथा सियासी पार्टियों के मध मिलान मुमकिन होगा ।

मतलब पता चलेगा कि किस कंपनी या फिर किस व्यक्ति ने किस सियासी पार्टी को इलेक्शन चंदे के रूप में कितनी धन राशि दी है ।

शुक्रवार के दिन उच्चतम न्यायालय के मुख्य जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने SBI से कहा, ”मैंने इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी हुई सभी खास जानकारी व्यक्तिगत करने के लिए कहा था ।

इस में बॉन्ड के खरीदने वाले, बॉन्ड की कीमत तथा ख़रीदने की डेट समिलित हैं । बॉन्ड के क्रम संख्या को आपने नहीं जानकारी दी है । मैंने अपने निर्णय में सभी खबर विश्वव्यापी करने के लिए बोला था” ।

न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने नाउम्मीदी जताते हुए बताया कि अभी जब तक सुनवाई चल रही है तब SBI को यहाँ सम्मुख होना चाहिए था ।

स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया ने सियासी चंदे का दिया डाटा

इससे पूर्व गुरुवार यानि कल की शाम पहले इलेक्शन आयोग ने इलेक्टोरल बॉन्ड से संबंधी आँकड़ों को खुदकी वेबसाइट पर विश्वव्यापी कर दिया था ।

इलेक्शन आयोग की तरफ से जारी की गई 763 की 2 लिस्ट में से एक में बॉन्ड लेने वालों की खबर है तो वहीँ दूसरी लिस्ट में सियासी दलों को मिले बॉन्ड का विवरण है ।



स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया ने इलेक्टोरल बॉन्ड का जो भी डेटा दिया है, उसके हिसाब से एक अप्रैल वर्ष 2019 से लेकर 15 फ़रवरी साल 2024 के बीच करीब 12,156 करोड़ रुपये का सियासी चंदा दिया गया ।

इलेक्टोरल बॉन्ड व्यवस्था वर्ष 2018 में मोदी गवर्नमेंट ने स्टार्ट की थी तथा कहा गया था इससे सियासी फंडिंग को लेकर अस्पष्टता आएगी ।

मगर केवल बॉन्ड ख़रीदने वाले तथा सियासी पार्टियों को मिली राशि के हिसाब से ये साफ़ नहीं हो पा रहा है कि किसने किसको धन राशि दिया ।

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इस सब से ये भी पता चल पा रहा नहीं है कि किसी मुख्य पार्टी को फंड किए जाने के पीछे किसी डोनर का क्या मतलब या मक़सद है ।

पहले के वित्त मंत्री अरुण जेटली ने वर्ष 2017 के अपने बजट बातचीत में कहा था कि इलेक्टोरल बॉन्ड से इलेक्शन फंडिंग में अस्पष्टता आएगी । उन्होंने अपनी बात में कहा था कि बगैर अस्पष्टता के स्वतंत्र तथा निष्पक्ष इलेक्शन कठिन है ।

Electoral Bonds को लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने क्या कहा था?

इलेक्टोरल बॉन्डस के विश्वव्यापी किए गए डेटा 12 अप्रैल वर्ष 2019 से लेकर 11 जनवरी साल 2024 तक का है । फ्यूचर गेमिंग तथा होटल सर्विसेज ने सियासी दल को सबसे अधिक चंदा दिया है

इसने करीब 1,368 करोड़ रुपये के बॉन्ड लिए हैं । कंपनी की तरफ से ये बॉन्ड 21 अक्टूबर वर्ष 2020 से लेकर जनवरी वर्ष 24 के मध ख़रीदे गए हैं ।

जहां तक सियासी पार्टियों का विवाद है तो सबसे ज़ादा चंदा भाजपा को मिला है । भाजपा को करीब 6,060 करोड़ रुपए मिले हैं । अगर दूसरी पार्टी की बात करें तो दूसरे नंबर पर तृणमूल कांग्रेस है ।

सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि इलेक्शन कमीशन 15 मार्च तक डेटा आम कर दे । जब कि इससे पूर्व SBI ने 12 मार्च वर्ष 2024 को सुप्रीम कोर्ट में डेटा जमा कर दिया था ।

सर्वोच्च न्यायालय की 5 न्यायमूर्ति की संविधान पीठ ने कहा था कि SBI करीब 12 मार्च तक पूरी जानकारी आम करे तथा इलेक्शन कमीशन ये जानकारी को एकत्र कर 15 मार्च को शाम 5 बजे तक इस को अपनी वेबसाइट पर उपलोड कर दे ।

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