महंगी हुई गरीब जनता की रोटी आटे के दाम बढ़े कौन ज़िम्मेदार…
देश में लगातार मंगाई ने आम जनता की कमर पहले ही तोड़ दी है। और अभी भी मंगाई अपनी चर्म सीमा में ही है। भारत एक कृषि प्रधान देश है जहां पर गेहूं, चावल, दाल की पैदावार बहुत है।
लेकिन फिर भी आज भारत की जनता को आटा 35 रूपए, चावल 95 रूपए और दाल 90 रूपए प्रति किलो लेना पड़ रहा है।
जबकि खुदरा बाजार में आटा 25 से 28 रूपए में ही है। ऐसी स्थिति मे देश की गरीब जनता कैसे अपना पेट भर पाएगी। की जब 1 रोटी में भी सरकार का आधा हिस्सा हो।
देश की बेरोजगारी, बढ़ती मंगाई और गिरती अर्थव्यवस्था से भारत की जनता बहुत परेशान है। लेकिन गेहूं की कमी के चलते सरकार 30 टन गेहूं बजार में उतार सकती है।
आम आदमी परेशान
आज देश में मंगाई के चलते आम आदमी को बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। कौन है इसका जिम्मेदार किसे इसका जिम्मेदार ठहराया जाए।
वहीं सरकार ने गेहूं की कमी को देखते हुए सरकारी राशन की दुकानों पर चावल की सप्लाई बढ़ा दी। जबकि रोटी ही गरीब की भूख को शांत कर सकती है।
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और सरकार ने मुफ्त राशन का हवाला देते हुए चावल देकर सम्मानित कर दिया है। लेकिन गरीब जनता 1100 का सिलेंडर भी ले और उसके बाद 35 रूपए का आटा भी ले।
जो की एक आम आदमी के लिए असंभव है। आज देश में पैदा होने वाली चीज को देश की जनता नहीं खा पा रही है तो इसका जिम्मेदार कौन है। आज देश की मौजुदा सरकार बेरोजगारी और मंगाई पर बात ही नही करना चाहती है।
मंगाई से परेशान आम आदमी और रोज़गार से युवा
आज देश में गैस सिलेंडर 1100 रूपए है। खाने की पीने की चीजों पर टैक्स बढ़ा दिया गया है। आज हर एक रोटी पर सरकार का भी हिस्सा लगा हुआ है।
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खाना, बिजली के बिल से लेकर हाउस टैक्स सब सरकार को दिया जा रहा है। लेकिन फिर भी जनता को राहत नहीं मिल पा रही है। आज युवा शिक्षित होकर भी बेरोजगार है।
सरकार नौकरी देने के बजाए आश्वासन दे रही है। युवा और आम जनता के लोग काफी समस्याओं का सामना कर रहे हैं।