क्या वेनेज़ुएला Venezuela अपने पड़ोसी मुल्क गुयाना पर हमला करने जा रहा... सत्य न्यूज़ हिंदी

क्या वेनेज़ुएला Venezuela अपने पड़ोसी मुल्क गुयाना पर हमला करने जा रहा…

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दिसम्बर महीने की स्टार्ट में वेनेज़ुएला Venezuela के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो Nicolás Maduro ने एक जनता वोट संग्रह करवाया, उसके बाद उन्होंने कहा कि उन्हें अपने पड़ोसी देश गुयाना के एसेकिबो एरिये का वेनेज़ुएला Venezuela में मिलाने का पावर प्राप्त हो गया है यह बात दो सौ वर्ष पुराने भूमि मसले में आया नया मोड़ है।

इसमें एक तरफ़ तीन करोड़ो की आबादी वाला बड़ा देश वेनेज़ुएला Venezuela है तथा दूसरी ओर दक्षिणी अमेरिका के उत्तर पूर्वी तट पर बसा हुवा गुयाना है, गुयाना की आबादी सिर्फ आठ लाख की है। गुयाना का कहना है कि वो खुद की ज़मीन की सेफ्टी के लिए हर कोई संभव कदम उठाएगा।

वहीं वेनेज़ुएला Venezuela के पड़ोसी मुल्क तथा विश्व के कई दूसरे मुल्क ने भी राष्ट्रपति मादुरो से कहा है कि वो कोई खराब कदम ना उठाएं लेकिन अब तक मादुरो ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय की अपील को बायकाट ही किया है।

एसेकिबो का एरिया गुयाना के दो-तिहाई एरिया में फैला हुआ है, मतलब इसका एरिया अमेरिका के फ़्लोरिडा राज्य के बराबर है। पहाड़ी बारिश वनों के इस एरिया की सीमा वेनेज़ुएला Venezuela से जुड़ी है।



इसके महत्व पर हमने बात चीत की फ़िल गनसन से जो की इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप में ख़ास विश्लेषक हैं हमने उनसे पूछा की कि वेनेज़ुएला Venezuela ने फस्ट टाइम कब इस एरिया पर दावा किया?

उनका कहना हैं की

”यह मामला उपनिवेश काल में शुरू हुआ था। इसका एरिया का कोई रिकॉर्ड नहीं है कि ये स्पेन के उपनिवेशियों ने एसेकिबो एरिया पर कब्ज़ा किया हो लेकिन उनके मैप में दिखाया गया था, कि कभी भी वेनेज़ुएला के नौसेना प्रमुख एसेकिबो नदी तक पहुंचे थे इस के बुन्याद पर वेनेज़ुएला Venezuela ने एसेकिबो एरिया पर दावा किया था।

सैद्धांतिक तरह से तो यह मामला 1899 में साफ़ हो गया था, मगर पेरिस में पांच अंतरराष्ट्रीय जजों ने इस पर खुदका फ़ैसला सुनाया था, जजों की इस पीठ में दो ब्रितानी, दो अमेरिकी तथा एक रूसी जज शामिल हुए थे। इन जजों ने एसेकिबो एरिया का स्वामित्व ब्रिटिश गुयाना को दे दिए था।

वेनेज़ुएला को तो कुछ नहीं मिला उस वख्त वेनेज़ुएला ने अनमने तरीके से डिसीज़न मान लिया था।मगर बाद में उसे लगा, कि अंतरराष्ट्रीय जजों ने आपस में मिल कर उसे तथा उसके अधिकार से दूर कर दिया उसके इस शक को तब और ताकत मिली जब 1949 में उस अदालत के एक अधिकारी द्वारा रेडी किए गए समझौते का मसौदा आगे आया।

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फ़िल गनसन ने कहा की, ”बात चीत के बाद समझौते के मसौदे में लिखा गया था कि ब्रितानी तथा रूसी जज ने मिल जुल कर अमेरिकी जजों के सामने बात रखा कि यदि वो इसे नहीं मानते है तो फ़ैसला और ज़ादा प्रतिकूल बना दिया जाएगा” फ़िल गनसन ने कहा हैं।

की ”वेनेज़ुएला Venezuela ने डिसीज़न को चुनौती दी तथा संयुक्त राष्ट्र में आवाज़ लगाई लेकिन उसे कुछ ज़ादा हासिल नहीं हुआ अंत मे 1966 में जेनेवा समझौता हुआ अब भी राष्ट्रपति मादुरो की यह दलील है कि इस मामले का समधान उसी कोर्ट में हो

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