एक बार फिर छत्तीसगढ़ में आदिवासी बनाम ओबीसी
आदिवासी बनाम ओबीसी: अब शायद ये बात कहना गलत नहीं होगा कि कांग्रेस की सियासत में ओबीसी मतलब अन्य पिछड़ा वर्ग तथा जाति जनगणना एक अच्छा खासा मुद्दा बन गया है ।
राहुल गाँधी की ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ के समय में छत्तीसगढ़ के रेंगालपाली जाने पर राहुल गांधी का भाषण का एक खास हिस्सा भी ओबीसी पर ही डायरेक्ट केंद्रित रहा ।
अब करीब दो दिनों के छुट्टी के बाद, संडे से राहुल गांधी का सफर रायगढ़ से शुरू हुई । ये यात्रा बुधवार को छत्तीसगढ़ के अलग-अलग एरिये से होकर जायगी ।
इन में कोरबा, सक्ति, सरगुजा, सूरजपुर तथा बलरामपुर-रामानुजगंज ज़िले होंगे । जिस में से एक बड़ा हिस्सा आदिवासी बहुल भी है । इसी समय उन्होंने सोमवार की रात को हसदेव के आंदोलनकारियों से मीटिंग की ।
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सोमवार से लेकर बुधवार तक राहुल गांधी का सफर जिन दो लोकसभा एरिया सरगुजा तथा कोरबा में रहेगी, वहां पर जल्द ही में ख़तम हुए विधानसभा इलेक्शन में कांग्रेस को इन दो एरिया की 16 में से 15 विधानसभा सीट पर हार का मुँह देखना पड़ा था ।
कहा जा रहा है कि राहुल गांधी तथा कांग्रेस, इस सफर का बहाना लेकर छत्तीसगढ़ में एक बार फिर से ओबीसी तथा आदिवासी वोटर को साधने का प्रयास करेंगे ।
आदिवासी बनाम ओबीसी सियासत दिल्ली में भी
छत्तीसगढ़ राज्य को अलग राज्य बने करीब दो दशक से ज़ादा का वख्त बीत चुका है । अब तक इसकी मुकाम एक आदिवासी राज्य ही के तौर पर मानी जा रही है ।
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मगर सत्ता में रहते हुए करीब पांच वर्षों में भूपेश बघेल ने OBC आरक्षण का एरिया करीब दोगुना करने तथा OBC आबादी का ‘हेड काउंट’ कन्फर्म कर, राज्य में फस्ट टाइम ओबीसी सियासत को दिल्ली में ला दिया ।
यही वजह है कि पूरे भारत में हर-जगह आयोजनों में उनको एक पावरफुल ओबीसी कैंडिडेट के तौर पर सामने करने की प्रयास किया गया ।